रिपोर्ट:ललित लांजेवार :-नागपुर
एक नई वैज्ञानिक खोज से पता चला है कि इंसानों की मशहूर डायबिटीज़ की दवा मेटफॉर्मिन (Metformin) मुर्गियों में भी चमत्कार कर सकती है। यह दवा खासतौर पर बुजुर्ग मुर्गियों में अंडा देने की क्षमता बढ़ाने में मदद करती है। इससे सस्टेनेबल पोल्ट्री फार्मिंग यानी टिकाऊ मुर्गी पालन में नई क्रांति आ सकती है।
मुर्गियों और इंसानों की प्रजनन प्रणाली में है अद्भुत समानता
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि मेटफॉर्मिन, जो आमतौर पर टाइप-2 डायबिटीज़ और पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) के इलाज में दी जाती है, वही दवा मुर्गियों के प्रजनन में भी कारगर है। खासतौर पर यह ब्रॉयलर ब्रीडर हेंस (मांस के लिए तैयार की जाने वाली मुर्गियों की मां) में असर दिखा रही है।
मेटफॉर्मिन कैसे करती है काम?
पिछले कुछ सालों से वैज्ञानिक जानते थे कि मेटफॉर्मिन अंडा उत्पादन बढ़ाती है, लेकिन हाल ही में पता चला है कि यह कैसे काम करती है। इसका जवाब मिला मुर्गियों के लीवर (यकृत) में।लीवर वो अंग है जहाँ अंडे की जर्दी (योल्क) बनाने वाले प्रोटीन तैयार होते हैं। मेटफॉर्मिन लीवर में कुछ खास जीन (Genes) को “ऑन” कर देती है जो योल्क प्रोटीन बनाने में मदद करते हैं और कुछ जीन को “ऑफ” कर देती है जो चर्बी जमा करने का काम करते हैं।
इंसानों की बीमारी से मिला सुराग
ब्रॉयलर मुर्गियों की प्रजनन क्षमता उम्र बढ़ने के साथ तेजी से घटती है, ठीक वैसे ही जैसे पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में होता है। यही कारण है कि मेटफॉर्मिन दोनों में असरदार साबित हो रही है।
पीसीओएस महिलाओं में हार्मोन असंतुलन, अनियमित मासिक चक्र और बांझपन का मुख्य कारण होता है। मेटफॉर्मिन इस स्थिति में हार्मोन संतुलित कर प्रजनन क्षमता सुधारती है — ठीक वैसा ही असर मुर्गियों पर भी देखने को मिला।
2023 के अध्ययन में मिले शानदार नतीजे
2023 में प्रकाशित एक अध्ययन में पेन स्टेट के वैज्ञानिकों ने मुर्गियों को 40 हफ्तों तक मेटफॉर्मिन की हल्की खुराक दी। नतीजा ये रहा कि इन मुर्गियों ने ज़्यादा उपजाऊ अंडे (fertile eggs) दिए, उनमें शरीर की चर्बी कम हुई और प्रजनन हार्मोन का स्तर भी संतुलित पाया गया।
वैज्ञानिकों की राय
प्रोफेसर रमेश रामचंद्रन ने कहा, “हमारी खोज से साफ है कि मेटफॉर्मिन ब्रॉयलर ब्रीडर मुर्गियों के अंडाशय (ovaries) की कार्यक्षमता बेहतर बनाती है।पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता और अध्ययन की प्रमुख लेखिका एवलिन वीवर ने बताया, “मेटफॉर्मिन बुजुर्ग मुर्गियों को मेटाबोलिक रूप से स्वस्थ रखती है, जिससे वे ज़्यादा समय तक अंडा देती रहती हैं।
पोल्ट्री फार्मिंग में बड़ा बदलाव संभव
शोधकर्ताओं का मानना है कि इस दवा से किसानों को बार-बार मुर्गियों का झुंड बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, जिससे खर्च कम होगा, पशु कल्याण में सुधार होगा और उत्पादन में वृद्धि होगी।
इसके अलावा, मेटफॉर्मिन मुर्गियों के शरीर में तेजी से मेटाबोलाइज़ हो जाती है, इसलिए इंसानों के खाने में इसके कोई अवशेष नहीं जाते, यानी खाद्य सुरक्षा बनी रहती है।मेटफॉर्मिन के रूप में मुर्गी पालन को एक नई, सुरक्षित और किफायती तकनीक मिल गई है जो न केवल अंडा उत्पादन बढ़ाएगी बल्कि पोल्ट्री इंडस्ट्री को भी एक स्थायी दिशा देगी।
सोर्स:(https://academic.oup.com/biolreprod)
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