चिकन और अंडे खाइए बेफिक्र होकर महाराष्ट्र/लातूर/अहमदपुर:
महाराष्ट्र के लातूर जिल्हे के अहमदपुर तालुका के ढालेगांव में एक पोल्ट्री किसान की 4200 मुर्गियों की मौत बर्ड फ्लू से नहीं, बल्कि ठंड के कारण हुई है। इस बात की पुष्टि प्रयोगशाला की रिपोर्ट में हुई है। इससे पशु चिकित्सा अधिकारियों का अनुमान सही साबित हुआ है।
ढालेगांव में 4200 मुर्गियों की मौत की खबर फैलने से प्रशासन सतर्क हो गया था। इसके बाद मृत पक्षियों के सैंपल पुणे की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए। अब आई रिपोर्ट के अनुसार, यह साफ हो गया है कि ये 4200 पक्षी गंदगी और ठंड के कारण दम घुटने से मरे हैं। जिला पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. भूपेन बोधनकर ने कहा कि तालुका और आसपास के क्षेत्र में बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है।
चिकन और अंडे पकाकर खाने से बर्ड फ्लू का खतरा नहीं
बर्ड फ्लू की आशंका के कारण कई लोगों ने चिकन और अंडे खाना बंद कर दिया था, जिससे व्यापारियों को भी नुकसान का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन पशु चिकित्सा प्रयोगशाला की रिपोर्ट आने के बाद प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि चिकन और अंडे को अच्छी तरह पकाने के बाद उनमें बर्ड फ्लू का कोई अंश नहीं रहता और इससे संक्रमण का खतरा नहीं है।
प्रशासन की इस सफाई के बाद व्यापारी वर्ग ने राहत की सांस ली है और लोगों से बेफिक्र होकर चिकन और अंडे खाने की अपील की है।
बर्ड फ्लू से न घबराये: ललित लांजेवार ने की अपील
पोल्ट्री उद्योग में कई वर्षों अभ्यास कर रहे ललित लांजेवार ने बर्ड फ्लू से डरने के बजाय सही जानकारी और सतर्कता के साथ इस स्थिति का सामना करने की अपील की है। लांजेवार ने कहा कि बर्ड फ्लू से जुड़ी कई बार अफवाहें फैल जाती हैं, जो न केवल लोगों के खानपान की आदतों को प्रभावित करती हैं, बल्कि पोल्ट्री उद्योग से जुड़े किसानों और व्यापारियों को भी भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाती हैं।
लांजेवार ने कहा कि बर्ड फ्लू का सही निदान और प्रबंधन जरूरी है। उन्होंने समझाया कि वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, चिकन और अंडे को अच्छी तरह पकाने से वायरस पूरी तरह नष्ट हो जाता है और इससे संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहता। उन्होंने बताया, "अगर चिकन और अंडे को १०० डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान पर पकाया जाए, तो वायरस नष्ट हो जाता है। इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।"
फसलों की तरह है पोल्ट्री उद्योग
ललित लांजेवार ने पोल्ट्री उद्योग की तुलना कृषि उद्योग से करते हुए कहा कि यह क्षेत्र लाखों लोगों की रोजी-रोटी का माध्यम है। उन्होंने कहा, "पोल्ट्री फार्मिंग एक ऐसा व्यवसाय है, जो किसानों, मजदूरों और व्यापारियों को रोजगार देता है। बर्ड फ्लू की अफवाहों के कारण इस उद्योग को बड़ा झटका लगता है।"
गाइडलाइन्स का पालन करने की अपील
लांजेवार ने पोल्ट्री फार्म मालिकों से अपील की कि वे सफाई और सुरक्षा के सभी नियमों का पालन करें। "फार्म की नियमित सफाई, पक्षियों को उचित तापमान प्रदान करना और पशु चिकित्सा अधिकारियों के निर्देशों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इससे हम किसी भी संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं।"
खानपान को लेकर लोगों में विश्वास बढ़ाएं
लांजेवार ने कहा, "बर्ड फ्लू की अफवाहों से घबराने के बजाय, सही जानकारी पर भरोसा करें। चिकन और अंडे खाने से कोई नुकसान नहीं है, बशर्ते उन्हें ठीक से पकाया जाए।" उन्होंने प्रशासन से भी अपील की कि लोगों को जागरूक किया जाए और उन्हें सही जानकारी प्रदान की जाए, ताकि पोल्ट्री उत्पादों की खपत प्रभावित न हो। अंत में कहा, "हम सभी को मिलकर पोल्ट्री उद्योग को मजबूत बनाना है। इसके लिए जरूरी है कि हम अफवाहों पर ध्यान न दें और सही दिशा में कदम उठाएं। बर्ड फ्लू से डरने की जरूरत नहीं है, बस सावधानी और सतर्कता से इसे हराया जा सकता है।"
जांच रिपोर्ट से पहले ही मीडिया फैलाती है बर्ड फ्लू का भ्रम पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि बर्ड फ्लू की अफवाहें तेजी से फैलती हैं, खासकर जब मीडिया बिना पुष्टि किए ब्रेकिंग न्यूज के रूप में इसे प्रसारित करती है। हाल ही में ढालेगांव में 4200 मुर्गियों की मौत के मामले में भी यही हुआ। मीडिया ने इसे बर्ड फ्लू से जोड़कर सनसनीखेज खबर बना दी, जबकि बाद में प्रयोगशाला की रिपोर्ट से पता चला कि इन पक्षियों की मौत ठंड और अस्वच्छता के कारण हुई थी।
ब्रेकिंग न्यूज की दौड़ में फैलाई जा रही अफवाहें
ब्रेकिंग न्यूज की होड़ में अक्सर मीडिया बिना पुष्टि किए खबरें प्रसारित कर देता है। इस तरह की अफवाहें न केवल आम जनता के बीच भय पैदा करती हैं, बल्कि पोल्ट्री उद्योग और किसानों को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इस मामले में, ढालेगांव में मुर्गियों की मौत को बर्ड फ्लू से जोड़ने के बाद क्षेत्र में चिकन और अंडों की खपत में भारी गिरावट देखी गई, जिससे व्यापारियों और किसानों को आर्थिक झटका लगा।
मीडिया की जिम्मेदारी पर सवाल
पोल्ट्रीमें अभ्यास करनेवाले ललित लांजेवार ने इस स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "मीडिया का काम है सही और सटीक जानकारी देना, लेकिन जब बिना पुष्टि के बर्ड फ्लू जैसी खबरें फैलाई जाती हैं, तो यह न केवल अफवाहों को जन्म देती हैं, बल्कि लोगों में डर का माहौल भी बनाती हैं।
गोरेवाड़ा में बाघ और तेंदुए की मौत
बर्ड फ्लू पर सवाल
कुछ दिन पहले नागपुर के गोरेवाड़ा में बाघ और तेंदुए की मौत को बर्ड फ्लू से जोड़ा गया था, हैरानी की बात यह है कि आसपास के पोल्ट्री फार्म बंद नहीं किए गए, जो संदेह को बढ़ाता है। पोल्ट्री फार्म में हजारो मुर्गिया बड़ी होती है उसमे से कुछ मुर्गिया अगर शेर के लिए खाने में दिए हो तो बाकि की हजारो मुर्गिया मार्किट में बिकी होंगी लेकिन मार्किट से कोई बात समने नहीं आई. सरकारी रिपोर्ट पर संदेह नहीं लेकिन जांच करते समय कुछ आवश्यक मुद्दे छूट गए है, मुझे लगता है की कुछ दूसरे कारनवश बाघ की मौत हुई है लेकिन इसे मुर्गी को बदनाम कर देना उचित नहीं।
प्रभावित होता है पोल्ट्री उद्योग
लांजेवार ने बताया कि पोल्ट्री उद्योग, जो लाखों लोगों को रोजगार देता है, ऐसी अफवाहों से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। उन्होंने कहा, "हर बार बर्ड फ्लू की खबर फैलने से किसान और व्यापारी भारी नुकसान झेलते हैं। जबकि बाद में रिपोर्ट में यह बात सामने आती है कि मौत की वजह कुछ और थी।"
सतर्कता और जागरूकता की जरूरत
प्रशासन और मीडिया दोनों से अपील की कि वे जिम्मेदारी से काम करें। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी भी खबर को प्रसारित करने से पहले वैज्ञानिक जांच और पुष्टि को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने जनता से भी आग्रह किया कि वे अफवाहों पर भरोसा न करें और चिकन व अंडे को सही तरीके से पकाकर सेवन करें।
"सही जानकारी ही डर का समाधान है"
"बर्ड फ्लू की असली समस्या अफवाहें हैं,न कि वायरस। सही जानकारी और सतर्कता ही इसका समाधान है। मीडिया को चाहिए कि वह अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग जागरूकता फैलाने के लिए करे, न कि बिना पुष्टि के खबरों से डर पैदा करने के लिए।"
मीडिया की जल्दबाजी न केवल भ्रम फैलाती है, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करती है। इसलिए, जिम्मेदारीपूर्ण रिपोर्टिंग और सटीक जानकारी साझा करना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
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