मुंबई:
महाराष्ट्र सरकार ने पशुपालन को कृषि का दर्जा देने के लिए का निर्णय लिया है।। इस फैसले के बाद पशुपालक किसान बिजली पर रियायत और किसान क्रेडिट कार्ड जैसे लाभ उठा सकेंगे। यह घोषणा शुक्रवार को पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, पशुपालन मंत्री, पंकजा मूंडे ने महाराष्ट्र के विधानसभा में की।
यह ऐतिहासिक निर्णय में, महाराष्ट्र कैबिनेट ने पशुपालन को कृषि का दर्जा देने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से दुग्ध उत्पादन, पोल्ट्री, बकरी पालन और सूअर पालन करने वाले किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिरता में सुधार होगा।
किसे मिलेगा लाभ?
पोल्ट्री फार्म: 25,000 ब्रॉयलर या 50,000 लेयर तक
हैचरी: 45,000 तक कैपेसिटी
डेयरी यूनिट: 100 जानवर तक
बकरी/भेड़ फार्म: 500 तक
सूअर पालन: 200 तक
अब इन सभी पशुपालन गतिविधियों को कृषि के बराबर माना जाएगा, जिससे किसानों को कृषि दर पर बिजली, सोलर पंप सब्सिडी, लोन पर ब्याज सब्सिडी और ग्राम पंचायत कर में राहत मिलेगी। पहले इन्हें “एग्रीकल्चर-अदर” कैटेगरी में रखा जाता था, जिससे किसानों को अधिक बिजली बिल और टैक्स का भार झेलना पड़ता था।
कर्ज और सब्सिडी में राहत
पशुपालन से जुड़े किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर लिए गए पशुपालन प्रोजेक्ट लोन पर 4% ब्याज में राहत दी जाएगी, जो पंजाबराव देशमुख ब्याज सब्सिडी योजना की तर्ज पर लागू होगी। इसके अलावा, किसान अब अपने पशुपालन प्रोजेक्ट्स के लिए सोलर पंप और उपकरण कृषि क्षेत्र जैसी सब्सिडी दरों पर लगा सकेंगे।
75 लाख परिवार होंगे लाभान्वित
महाराष्ट्र में करीब 75 लाख परिवार पशुपालन से जुड़े हैं। इस निर्णय से ग्रामीण रोजगार बढ़ेगा, सतत कृषि को प्रोत्साहन मिलेगा और किसानों की आमदनी में इजाफा होगा।
उद्योग में क्या बदलाव आएंगे?
महाराष्ट्र का पोल्ट्री उद्योग पहले से ही पुरे भारत ले लिए महत्व रखता है। इस निर्णय से किसां को थोड़ी रहत मिल सकती है।और छोटे व मध्यम पोल्ट्री फार्मर्स के लिए व्यवसाय करना आसान होगा।
डेयरी उद्योग में किसानों को सस्ती बिजली मिलने से दूध उत्पादन लागत में मामूलिसि घट हो सकती है, जिससे किसानों की लाभप्रदता में वृद्धि होगी।
बकरी और सूअर पालन जैसे छोटे पशुपालन व्यवसाय अब ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार का साधन बनेंगे। उद्योग में सोलर एनर्जी का उपयोग बढ़ेगा, बिजली बिल लागत कम होगी और पर्यावरणीय दृष्टि से यह कदम स्थायी विकास में सहायक बनेगा।
राज्य सरकार का यह कदम पशुपालन उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा और महाराष्ट्र में पशुपालन क्षेत्र की संरचना को बदलते हुए देश के अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करेगा।
यह भी पढ़े
भारत दूध उत्पादन में विश्व में अग्रणी और अंडा उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
2024 में, राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दिल्ली में पशुपालन एवं डेयरी विभाग का वार्षिक प्रकाशन, 'आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2024' जारी किया। उस समय, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री, प्रो. एस. पी. सिंह बघेल और श्री जॉर्ज कुरियन ने, डीएएचडी सचिव सुश्री अलका उपाध्याय और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ, एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़, पशुपालन सांख्यिकी (बीएएचएस)- 2024 जारी किया।
यह पशुधन और डेयरी क्षेत्र के रुझानों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है। BAHS- 2024, 1 मार्च 2023 से 29 फ़रवरी 2024 की अवधि के लिए किए गए एकीकृत नमूना सर्वेक्षण के परिणामों पर आधारित है।
देश में अपनी तरह का यह एकमात्र सर्वेक्षण, दूध, अंडे, मांस और ऊन जैसे प्रमुख पशुधन उत्पादों (MLP) के उत्पादन अनुमानों पर महत्वपूर्ण आँकड़े प्रस्तुत करता है, जो पशुधन क्षेत्र में नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकाशन में राज्यवार पशुधन उत्पादों के उत्पादन और प्रति व्यक्ति उपलब्धता के अनुमान के साथ-साथ दूध उत्पादन में शामिल पशुओं की अनुमानित संख्या, मुर्गी पालन करने वाले पक्षी, वध किए गए पशु और भेड़ों के ऊन काटने जैसी जानकारियाँ शामिल हैं।
इसके अलावा, यह पशु चिकित्सालयों, पॉलीक्लिनिकों, गौशालाओं, राजकीय फार्मों और अन्य बुनियादी ढाँचे, कृत्रिम गर्भाधान की संख्या और पशुधन क्षेत्र के वैश्विक दृष्टिकोण पर बहुमूल्य आँकड़े प्रस्तुत करता है।
दूध, अंडा, मांस और ऊन उत्पादन 2023-24
'बेसिक एनिमल हसबेंडरी स्टैटिस्टिक्स (BAHS)' देश में दूध, अंडा, मांस और ऊन उत्पादन के अनुमान प्रतिवर्ष प्रकाशित करता है, जो एकीकृत नमूना सर्वेक्षण (ISS) के परिणामों पर आधारित होता है। यह सर्वेक्षण देश भर में तीन मौसमों - ग्रीष्म (मार्च-जून), मानसून (जुलाई-अक्टूबर) और शीत (नवंबर-फरवरी) में किया जाता है। वर्ष 2023-24 के लिए दूध, अंडे, मांस और ऊन के अनुमान जारी कर दिए गए हैं और इस सर्वेक्षण के परिणाम नीचे संक्षेप में दिए गए हैं:
दूध उत्पादन:
बीएएचएस 2024 में घोषित अनुसार, देश में कुल दूध उत्पादन 2023-24 में 239.30 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले 10 वर्षों में 5.62% की वृद्धि दर्शाता है, जबकि 2014-15 में यह 146.3 मिलियन टन था। इसके अलावा, 2023-24 में उत्पादन 2022-23 के अनुमान से 3.78% अधिक है।
2023-24 में दूध उत्पादन में उत्तर प्रदेश का योगदान 16.21% रहा, इसके बाद राजस्थान (14.51%), मध्य प्रदेश (8.91%), गुजरात (7.65%) और महाराष्ट्र (6.71%) का स्थान रहा। वार्षिक वृद्धि दर (एजीआर) के संदर्भ में, पश्चिम बंगाल (9.76%) ने सबसे अधिक एजीआर दर्ज की, उसके बाद झारखंड (9.04%), छत्तीसगढ़ (8.62%) और असम (8.53%) का स्थान रहा।
अंडा उत्पादन:
देश में कुल अंडा उत्पादन 2023-24 में 142.77 बिलियन होने का अनुमान है और 2014-15 में अनुमानित 78.48 बिलियन अंडों के उत्पादन की तुलना में पिछले 10 वर्षों में इसमें 6.8% की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, 2022-23 की तुलना में 2023-24 में उत्पादन में सालाना 3.18% की वृद्धि हुई है।
आंध्र प्रदेश कुल अंडा उत्पादन का 17.85% उत्पादन करता है। इसके बाद तमिलनाडु (15.64%), तेलंगाना (12.88%), पश्चिम बंगाल (11.37%) और कर्नाटक (6.63%) का स्थान है। वार्षिक आय वृद्धि के संदर्भ में, लद्दाख (75.88%), मणिपुर (33.84%) और उत्तर प्रदेश (29.88%) में सबसे अधिक वृद्धि दर दर्ज की गई।
मांस उत्पादन:
देश में कुल मांस उत्पादन 2023-24 में 10.25 मिलियन टन होने का अनुमान है और 2014-15 में अनुमानित 6.69 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में पिछले 10 वर्षों में इसमें 4.85% की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, 2022-23 की तुलना में 2023-24 में उत्पादन में 4.95% की वृद्धि हुई।
इसमें आगे कहा गया है कि कुल मांस उत्पादन में पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी 12.62% है, उसके बाद उत्तर प्रदेश (12.29%), महाराष्ट्र (11.28%), तेलंगाना (10.85%) और आंध्र प्रदेश (10.41%) का स्थान है। वार्षिक वृद्धि दर के संदर्भ में, सर्वाधिक वार्षिक वृद्धि दर (एजीआर) असम (17.93%) में दर्ज की गई है, उसके बाद उत्तराखंड (15.63%) और छत्तीसगढ़ (11.70%) का स्थान है।
ऊन उत्पादन:
देश में कुल ऊन उत्पादन 2023-24 में 33.69 मिलियन किलोग्राम होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.22% की मामूली वृद्धि है। 2019-20 में यह 36.76 मिलियन किलोग्राम और पिछले वर्ष 33.61 मिलियन किलोग्राम था।
राजस्थान कुल ऊन उत्पादन का 47.53% हिस्सा है, उसके बाद जम्मू और कश्मीर (23.06%), गुजरात (6.18%), महाराष्ट्र (4.75%) और हिमाचल प्रदेश (4.22%) का स्थान है। वार्षिक वृद्धि दर के संदर्भ में, सर्वाधिक वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (एजीआर) पंजाब (22.04%) में दर्ज किया गया है, उसके बाद तमिलनाडु (17.19%) और गुजरात (3.20%) का स्थान है।
स्त्रोत:PIB
0 Comments