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45°C तापमान पर ब्रॉयलर मुर्गियों में होने वाले परिवर्तन और उनके प्रभाव

नागपुर(ललित लांजेवार):
जब तापमान 45°C तक पहुँचता है, तो ब्रॉयलर मुर्गियों में कई प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलते हैं जो उनकी सेहत और उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

शारीरिक परिवर्तन:
इस अत्यधिक गर्मी में मुर्गियों का शरीर तापमान नियंत्रित करने के लिए हांफने (पैंटिंग) की प्रक्रिया अपनाता है, लेकिन 45°C पर यह उपाय पर्याप्त नहीं होता। परिणामस्वरूप, उनके शरीर का तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है।

तेज़ी से सांस लेने की वजह से शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर घटता है, जिससे रक्त में एसिड-क्षारीय संतुलन बिगड़ जाता है, जिसे रेस्पिरेटरी एल्केलोसिस कहा जाता है। शरीर को ठंडा करने के लिए त्वचा की ओर रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे दिल पर ज़्यादा दबाव पड़ता है और हृदय गति बढ़ जाती है।

गर्मी के कारण मुर्गियों की भूख कम हो जाती है और वे कम चारा खाती हैं, जिससे उनका विकास धीमा हो जाता है और वजन घटने लगता है। दूसरी ओर, वे ठंडक पाने के लिए अधिक पानी पीती हैं, जिससे उनके मल का प्रवाह बढ़ जाता है और वह अधिक पानीदार हो जाता है।
रक्त प्रवाह भी आंतरिक अंगों से त्वचा की ओर स्थानांतरित हो जाता है ताकि गर्मी को बाहर निकाला जा सके। अधिक पसीना और पानीदार मल के कारण शरीर में आवश्यक लवण जैसे सोडियम, पोटैशियम और क्लोराइड की कमी हो जाती है। गर्मी के तनाव के कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमज़ोर हो जाती है, जिससे वे विभिन्न रोगों की चपेट में जल्दी आ सकती हैं। अत्यधिक गर्मी से मांसपेशियों में प्रोटीन टूटने लगता है, जिससे मांस की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

व्यवहारिक परिवर्तन:
मुर्गियाँ अपनी ऊर्जा बचाने के लिए कम सक्रिय हो जाती हैं और एक स्थान पर बैठी रहती हैं। वे ठंडी और छायादार जगहों की तलाश करती हैं। शरीर की गर्मी कम करने के लिए वे अपने पंख फैलाकर रखती हैं और एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखती हैं।
उत्पादकता पर प्रभाव:
चारे की कमी और चयापचय में बदलाव के कारण उनके विकास की गति धीमी हो जाती है। शरीर में चर्बी और मांसपेशियों के कम होने से वजन घटता है। यदि गर्मी का तनाव अत्यधिक हो जाए, तो इससे मुर्गियों की मृत्यु भी हो सकती है।
इन प्रभावों से बचने के उपाय:
सबसे पहले, शेड में उचित वेंटिलेशन की व्यवस्था करनी चाहिए और पंखे तथा कूलिंग पैड्स का उपयोग करना चाहिए। पीने के पानी को ठंडा और साफ़ बनाए रखना आवश्यक है, साथ ही पानी की टंकी और पाइपलाइनों को ठंडा रखने के उपाय भी किए जाने चाहिए।

मुर्गियों को सुबह और शाम के ठंडे समय में चारा देना चाहिए और उनके आहार में इलेक्ट्रोलाइट्स व विटामिन्स (जैसे विटामिन C और E) शामिल करने चाहिए। शेड में अधिक जगह देकर भीड़भाड़ कम करनी चाहिए। परिवहन और अन्य प्रबंधन संबंधी कार्य ठंडे समय में करने चाहिए ताकि मुर्गियों पर तनाव कम पड़े।

45°C तापमान ब्रॉयलर मुर्गियों के लिए अत्यंत खतरनाक होता है। इससे उनकी सेहत और उत्पादन दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है, अतः ऐसे मौसम में विशेष सावधानियों की आवश्यकता होती है।
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