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पोल्ट्री हैचरीज पर प्राइस-फिक्सिंग के आरोप में 15.5 करोड़ का लगाया जुर्माना

पाकिस्तान /इस्लामाबाद:
पाकिस्तान की प्रतिस्पर्धा आयोग (CCP) ने आठ प्रमुख पोल्ट्री हैचरीज पर मिलकर मूल्य निर्धारण (प्राइस-फिक्सिंग) और कार्टेल बनाने के आरोप में कुल 15.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना डे-ओल्ड ब्रॉयलर चिक्स (DOCs) की कीमतें तय करने के लिए लगाया गया है।

सीसीपी ने DOC बाज़ार में कार्टेल बनाने की शिकायत पर स्वतः संज्ञान लिया और एक विस्तृत जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि कई प्रमुख हैचरीज — जैसे कि सादिक पोल्ट्री, हाई-टेक ग्रुप, इस्लामाबाद ग्रुप, ओलंपिया ग्रुप, जदीद ग्रुप, सुप्रीम फार्म्स (सीज़न ग्रुप), बिग बर्ड ग्रुप और सबीर ग्रुप — ने मिलकर कीमतें तय कीं, जो प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2010 की धारा 4 का उल्लंघन है।
                                  
कार्टेल कैसे काम कर रहा था?
इन हैचरीज ने "चिक रेट अनाउंसमेंट" नामक एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया, जिसे बिग बर्ड ग्रुप के एक वरिष्ठ अधिकारी चला रहे थे।

डॉ. शाहिद (बिग बर्ड ग्रुप के मार्केटिंग मैनेजर) हर रोज़ कीमतों की जानकारी फोन या व्हाट्सऐप के माध्यम से भेजते थे।PPA (पाकिस्तान पोल्ट्री एसोसिएशन) के चेयरमैन डॉ. अब्दुल करीम और सेक्रेटरी जनरल मेजर (रि.) सैयद जावेद हुसैन बुखारी भी इस ग्रुप का हिस्सा थे।

ग्रुप के सदस्य मार्च 2019 से मार्च 2021 तक 198 बार मूल्य निर्धारण पर चर्चा कर चुके थे – 108 बार टेक्स्ट मैसेज के जरिए और 87 बार व्हाट्सऐप पर।
                            
PPA के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कीमतों की जानकारी साझा करने को नहीं रोका, जिससे यह मिलकर मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया आसान हुई।

वित्तीय और उपभोक्ता प्रभाव:
मार्च 2020 से अप्रैल 2021 के बीच DOCs की कीमतों में 346% की वृद्धि हुई — 17.92 रुपये से बढ़कर 79.92 रुपये प्रति चूज़ा हो गई।

यह मूल्यवृद्धि विशेष रूप से पंजाब में लागू की गई, जबकि मामूली परिवहन शुल्क जोड़कर मुल्तान और कराची में भी प्रभाव डाला गया।
                       
सीसीपी की टिप्पणी:
सीसीपी ने बताया कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 के अनुसार, इस प्रकार की मिलीभगत से कीमतों को नियंत्रित करना, आपूर्ति पर रोक लगाना या उत्पादन को सीमित करना कानूनन अपराध है। व्यापारिक संघों का उद्देश्य अपने उद्योग को सहयोग देना होता है, न कि मूल्य-संवेदनशील जानकारी साझा करना या कार्टेल बनाना।

सीसीपी को हाल ही में ऐसी नई शिकायतें भी मिली हैं, जिनमें DOCs की कीमतें बढ़कर PKR 230 प्रति चूज़ा हो गई हैं, जबकि बाजार मूल्य PKR 78 होना चाहिए था।
                        
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में एक करोड़ से अधिक लोग वर्तमान में भूखमरी का सामना कर रहे हैं, जबकि पहलगाम आतंकवादी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे युद्ध के बाद भारत के साथ बढ़े तनाव के बीच नकदी की कमी से जूझ रहे इस देश में मुद्रास्फीति गंभीर स्तर पर पहुंच गई है। और खाद्यान्न की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गयी हैं। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चावल, आटा, सब्जियां, फल और चिकन जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं और पहलगाम हमले के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित करने के बाद स्थिति और खराब हो गई है। पाकिस्तानी विधायक, सांसद और मंत्री देश छोड़ रहे हैं।
                                
भारत में भी पोल्ट्री हैचरीज और अन्य कृषि व खाद्य क्षेत्रों में कार्टेलाइजेशन (मूल्य-साझेदारी और प्रतिस्पर्धा को कम करने की मिलीभगत) की चर्चा होती रही है। हालांकि पाकिस्तान जैसी कड़ी कार्रवाई भारत में देखने नहीं मिली,  

भारत में चीक्स के दाम में वृद्धि:
बीते २ साल से भारत में चूजे की किम्मत आसमान छू रही है, इस वजह से ब्रॉयलर के ओपन फार्मर कम हो गए है, साथ ही में हैचिंग अंडे के भी रेट बढ़ गए है.। इस वजह से आज भारत में चूजे की किम्मत ४० रूपये से लेकर ४५ रूपये तक है. ऐसे में फार्मर कोकरेल और सोनाली बर्ड की फार्मिंग के तरफ मुड़ते दिखाई दे रहा है।

CCI (Competition Commission of India) की भूमिका:
भारत में प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) का कार्य भी पाकिस्तान की CCP की तरह है। CCI ने अतीत में सीमेंट, एल्यूमीनियम, और फार्मा सेक्टर में कार्टेल पर जुर्माने लगाए हैं। पोल्ट्री उद्योग पर विशेष ध्यान अब तक सीमित रहा है,  

उपभोक्ता पर असर:
अचानक मूल्य वृद्धि से सबसे अधिक प्रभाव गरीब और निम्न मध्यम वर्ग पर पड़ता है। चिकन और अंडा जैसे सस्ते प्रोटीन स्रोत महंगे होने से पोषण स्तर पर भी असर पड़ता है। 

क्या भारत में कार्रवाई हुई है?
अब तक पोल्ट्री उद्योग में कार्टेल के खिलाफ कोई बड़ी सार्वजनिक कार्रवाई सामने नहीं आई है, लेकिन CCI किसी भी तरह की औपचारिक शिकायत या साक्ष्य के आधार पर जांच कर सकता है। अगर कोई संगठन या उपभोक्ता शिकायत करे कि मूल्य एक जैसे और गैर-प्राकृतिक तरीके से बढ़ रहे हैं।
यदि किसी व्हाट्सऐप ग्रुप या बैठक का साक्ष्य हो जहाँ कीमतें तय की जाती हों।

भारत में पोल्ट्री हैचरीज में कार्टेल बनाने की आशंका है, लेकिन जांच और निगरानी की आवश्यकता है। CCI को चाहिए कि वह इस क्षेत्र की कीमतों और व्यापारिक संचार पर नज़र रखे ताकि उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रह सकें।
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