भारत के साथ व्यापार समझौते के हिस्से के रूप में, अमेरिका अपने जेनिटिकली मॉडिफाइड (GM) उत्पाद विशेषकर सोयाबीन और मक्का को भारतीय बाजार में पहुंचाना चाहता है। पशु चारे के स्थिर आपूर्ति जैसे कि सोयाबीन मील और मक्का, पशुपालन क्षेत्र की स्थिर वृद्धि में सहायक होते हैं। ब्रॉयलर मीट के उत्पादन लागत में 65% से अधिक हिस्सा फीड लागत का होता है। अगर फीड की कीमतों में अस्थिरता आती है तो पोल्ट्री उद्योग के लिए उत्पादन लागत बढ़ जाती है।ऐसे में भारत में जीएम फसलों पर व्यावहारिक नीति अपनाने की आवश्यकता होंगी ऐसे पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव रिकी थापर ने कहां है।
फिलहाल, सोयाबीन मील और मक्का का घरेलू उत्पादन मांग को पूरा कर रहा है, लेकिन खाद्य तेल और पशुपालन उत्पादों की खपत में बढ़ोतरी के चलते, भविष्य में भारत को सोयाबीन और मक्का आयात करना पड़ेगा। अब तक भारत ने GM मूल के सोयाबीन मील और मक्का पर आपत्ति जताई थी, फिर भी 2021 में फीड की कीमतें बढ़ने पर भारत ने 12 लाख टन GM सोयाबीन मील के आयात की अनुमति दी थी।
पड़ोसी देशों में अनुमति, भारत में भी उम्मीद
नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में GM सोयाबीन/सोयाबीन मील और GM मक्का के आयात की अनुमति है। इसलिए भारतीय पोल्ट्री उद्योग को उम्मीद है कि सरकार भी इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेगी। इसके लिए सभी प्रमुख पोल्ट्री संघ वरिष्ठ पशुपालन और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ फॉलोअप कर रहे हैं।ऐसा रिकी थापर ने कहां है।
देश में पहले से ही GM कपास का व्यापक उपयोग
भारत में कपास की 92% खेती क्षेत्र में GM BT कपास का उपयोग होता है, जो 2003 से व्यावसायिक खेती के लिए अनुमोदित एकमात्र फसल है। सरकार को अमेरिका से सोयाबीन, सोयाबीन मील और मक्का के आयात की अनुमति देने में व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना होगा ताकि महत्वपूर्ण कृषि फसलों की घरेलू आपूर्ति बनी रहे। इससे एथेनॉल उत्पादन और पशु आहार की आपूर्ति सुनिश्चित होगी, साथ ही घरेलू उत्पादकों के हितों की भी रक्षा होगी।
खाद्य तेल आयात में कमी और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को मिलेगा बढ़ावा
भारत अपनी खाद्य तेल की 58% से अधिक खपत - पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल आयात करता है, क्योंकि घरेलू उत्पादकता वैश्विक स्तर के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाई है। GM सोयाबीन के आयात की अनुमति देकर प्रोसेसिंग के लिए देश में तेल निकासी की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिससे खाद्य तेलों के आयात में कमी आएगी और प्रोसेसिंग उद्योग को मजबूती मिलेगी।
भारत को जीएम फसलों के आयात पर व्यावहारिक नीति अपनाने की तत्काल आवश्यकता है, ताकि पशुपालन और पोल्ट्री उद्योग को स्थिर कच्चे माल की आपूर्ति मिल सके, खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम हो, और देश के कृषि व प्रोसेसिंग सेक्टर को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़ावा मिल सके।
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रिकी थापर |
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