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पोल्ट्री फार्म सील करने पहुंचे बैंक अधिकारीके सामने पोल्ट्रीफार्मरने पिया जहर

कर्नाल:
भैनी खुर्द गांव के समीप खेतों में बने दो पोल्ट्री फार्म को सील करने पहुंचे बैंक कर्मचारियों और पुलिस प्रशासन के सामने ही पोल्ट्री फार्म मालिक ने जहरीला पदार्थ निगल कर आत्महत्या करने का प्रयास किया। फिलहाल पोल्ट्री फार्म मालिक का इलाज शहर के प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है,
जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार पोल्ट्री फार्म मालिक गांव झंझाडी निवासी संदीप ने 2013 में बैंक ऑफ इंडिया तरावड़ी से करीब 1करोड़ 73 लाख का लोन लिया था। लोन ना चुकाने पर वीरवार को बैंक कर्मचारी पोल्ट्री फार्म को सील करने के लिए पहुंचे थे। पोल्ट्री फार्म के मालिक का कहना है कि वह घर के गहने गिरवी रखकर बैंक अधिकारियों को कुछ रुपये देने के लिए तैयार थे।

 साथ ही बाकी के रुपये दिसंबर तक चुकाने को कह रहे थे, लेकिन अधिकारी राजी नहीं हुए। उसका कहना है कि करीब छह करोड़ की प्रॉपर्टी बैंक ऑफ इंडिया तरावड़ी में गिरवी रखकर पोल्ट्री फार्म के लिए 1.50 करोड़ का लोन लिया था।
 उसके चाचा के लड़के ने भी इसी बैंक से करीब 20 लाख का लोन लिया है। दोनों ने खेतों में दो पोल्ट्री फार्म लगाए हुए हैं। 2015 तक उन्होंने बैंक में लोन की किस्त जमा कराई। इस दौरान मुर्गियों में बीमारी आने के कारण वह बैंक की किस्त नहीं जमा करा पाए।
300 रुपये वाली मुर्गियां 52 रुपये में कर रहे थे नीलाम
 
 करनाल। भैनी खुर्द गांव के समीप खेतों में बने दो पोल्ट्री फार्म सील करने पहुंची बैंक की टीम ने संचालक संदीप के सामने ही उसकी मुर्गियों की नीलामी शुरू कर दी। इस दौरान 300 रुपये वाली मुर्गियां की कीमत 52 रुपये लगाई गयी। अपने सामने ही यह स्थिति देख पोल्ट्री फार्म संचालक ने टीम के सामने ही जहर खा लिया।

पोल्ट्री फार्म मालिक ने बताया कि जो मुर्गी अंडा देना बंद कर देती है उस मुर्गी का रेट 150 रुपये से ऊपर है। वहीं जिन मुर्गियों को बैंक अधिकारी नीलाम कर रहे हैं, उनकी कीमत 300 रुपये के करीब है, बैंककर्मी इस मुर्गी को 52 रुपये में नीलाम कर रहे हैं। दोबारा नीलामी के दौरान मुर्गी का रेट 72 रुपये लगा, लेकिन फिर भी बैंक अधिकारी उस मुर्गी को 52 रुपये में ही लगा रहे हैं। उसका कहना है कि एक तरफ तो सरकार लॉकडाउन से प्रभावित लघु एवं मझोले उद्योगों को राहत देकर दुबारा स्थापित कराने पर जोर दे रही है, तो वहीं बैंकर्स सरकार की मंशा पर पलीता लगा रहे हैं।
पहले नोटबंदी अब कोरोना की पड़ी मार
संचालक संदीप का कहना है कि नोटबंदी होने के कारण उनका पोल्ट्री फार्म का काम ठप हो गया। इस कारण वे लोन की किस्त नहीं चुका पाए, लेकिन उन्होंने बैंक अधिकारी से बात कर करीब 17 लाख रुपये जमा करा दिये। अब कोरोना के कारण उनका काम फिर से ठप हो गया। इस बारे में उन्होंने बैंक अधिकारियों से पैसे चुकाने का समय मांगा था, लेकिन बैंक अधिकारी उनका पोल्ट्री फॉर्म सील करने के लिए पहुंच गए। इस पर उन्होंने 60 लाख रुपये जमा कराने और शेष रकम का भुगतान दिसंबर में करने की बात कही, लेकिन बैंक अधिकारियों ने एक न सुनी। इसके बाद अधिकारियों के सामने ही उसने जहर खा लिया।
10 लाख रुपये रिश्वत का लगाया आरोप
जहर निगलने वाले संदीप के पिता ने बैंक अधिकारियों के साथ आए एक व्यक्ति पर 10 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि वह बैंक का एजेंट है और उन्हें डराता धमकाता रहता है। जब उन्होंने बैंक से लोन लिया था, उस दौरान इस एजेंट ने 10 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। यही व्यक्ति उनका बैंक के साथ समझौता नहीं होने दे रहा है।
भाकियू नेता पहुंचे, गलत तरीके से नीलामी का लगाया आरोप
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश महासचिव प्रवीण मथाना मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि किसान पहले ही मरा हुआ है। सबसे पहले बैंक द्वारा की गई नीलामी सही तरीके से नहीं हुई है। जिस मुर्गी का रेट 300 रुपये है। उसे 52 रुपये में खरीदा जा रहा है।

बैंक अधिकारी बोले 
पोल्ट्रीफार्म को सील करने पहुंचे बैंक अधिकारियों ने बताया कि संदीप निवासी झंझाड़ी ने 2013 में एक करोड़ 73 लाख का लोन लिया था। किस्त जमा न कराने पर 2018 से संदीप के पास नोटिस भेजा गया था। अदालत के आदेशानुसार प्रापर्टी को सील करने के लिए आए थे। रिश्वत लेने का आरोप झूठा और निराधार है।

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