राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि पोल्ट्री फार्म से प्रदूषण होता है और उन्हें नियमों से छूट नहीं दी जा सकती। एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को निर्देश दिया है कि वह पोल्ट्री फार्म को ‘हरित श्रेणी’ उद्योग में वर्गीकृत करने और विभिन्न कानूनों के तहत उन्हें मिली छूट के दिशानिर्देशों को फिर से जारी करे। एनजीटी ने कहा कि पोल्ट्री फाम्र्स से पर्यावरण को नुकसान होने की संभावना है, जिसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
तीन महीने के अंदर सीपीसीबी को फिर सेदिशानिर्देश जारी करने का आदेश
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीपीसीबी को तीन महीने के भीतर नया आदेश जारी करने को कहा है। अगर कोई नया आदेश जारी नहीं होता है तो सभी राज्य प्रदूषण बोर्डों को वायु, जल और पर्यावरण सुरक्षा कानून के तहत ठोस तंत्र लागू करना होगा। पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, पोल्ट्री उत्पादन विभिन्न तरह के पर्यावरणीय प्रदूषकों से जुड़ा है। इसके अलावा यह मक्खियों, कुत्तों व अन्य कीटों को आकर्षित करता है, जो बीमारी फैलाते हैं।
अपशिष्ट, कूड़े और बेकार पानी का खराब प्रबंधन आसपास रहने वाले लोगों पर बुरा असर डालता है। एनजीटी पशुओं के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता गौरी मुलेखी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने सीपीसीबी के दिशानिर्देशों को रद्द करने की मांग की है, जिसमें पोल्ट्री फार्म को पानी (प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण) अधिनियम से छूट दी गई है।
स्रोत:अमर उजाला
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